अभी तो सिर्फ़ लब खुले हैं जुबाँ मुखर हुई तो शब्दों की आँधी में ढ़ह जाएगी आधी से ज़्याद अभी तो सिर्फ़ लब खुले हैं जुबाँ मुखर हुई तो शब्दों की आँधी में ढ़ह जाएगी आधी ...
उनके आने के इंतज़ार में, वक़्त है कि ठहर जाता है। उनके आने के इंतज़ार में, वक़्त है कि ठहर जाता है।
तन्हाई आंसुओं में सिमट के रह गयी। तन्हाई आंसुओं में सिमट के रह गयी।
तू भी तो खोई खोई थी जागी हुई जैसे सोई थी मन में दबी हुई थी बातें, तू भी तो खोई खोई थी जागी हुई जैसे सोई थी मन में दबी हुई थी बातें,
मैं फिर व्यस्त हो जाती हूँ , अपनी ही धुन में गुनगुनाती हूँ , मैं फिर व्यस्त हो जाती हूँ , अपनी ही धुन में गुनगुनाती हूँ ,
दिल में है जो वो लिखूं, या लब पे है जो वो लिखूं। दिल में है जो वो लिखूं, या लब पे है जो वो लिखूं।